किसी भी वस्तु का भाव दुगुना तिगुना बताते और फिर कम करते।
3.
इस तरह संस्कृत के गुटि में उस छोटे पिण्ड या वस्तु का भाव है जो गोल गोल है।
4.
इस तरह संस्कृत के गुटि में उस छोटे पिण्ड या वस्तु का भाव है जो गोल गोल है।
5.
कालान्तर में इस प्राप्ति में अस्तित्व रक्षा के संसाधन, सामग्री या लाभ की वस्तु का भाव भी जुड़ गया।
6.
मंगल के परिभ्रमण से लाल वस्तु का भाव तेज बना रहेगा, इसी के साथ कपड़े के भाव में तेजी आएगी।
7.
कालान्तर में इस प्राप्ति में अस्तित्व रक्षा के संसाधन, सामग्री या लाभ की वस्तु का भाव भी जुड़ गया।
8.
गीता दूसरा अध्याय (श्लोक संख्या १ ६-२२) (१ ६) असत वस्तु का भाव नहीं होता है और सत का अभाव नहीं होता है।
9.
वस्तुत: किसी वस्तु का भाव जगत से जड़ जगत में उत्सरण होता है, तब मनुष्य उस उत्सरित वस्तु को अच्छी तरह से पहचानने लगता है और प्यार भी करने लगता है।
10.
ज्योति-पर्व की ख़ूब बधाई, सबको मुबारक़ हो मंहगाई ज्योति-पर्व की ख़ूब बधाई सबको मुबारक़ हो मंहगाई आई फिर दीपावली, ले कर नव उल्लास उजियारे का हो रहा, भीतर तक आभास भीतर तक आभास, लगी सजने दूकानें धीरे धीरे ग्राहकगण, भी लगे हैं आने बरतन-वरतन, कपड़ा-सपड़ा, जूता-वूता हर वस्तु का भाव भले आकाश को छूता खर्चो खर्चो, खर्च दो, जितना जिसके पास आई फिर दीपावली, ले कर नव उल्लास-अलबेला खत्री कार्टूनिस्ट एवं चित्रकार मित्रों के नाम अलबेला खत्री का पैगाम प्यारे मित्रो, विशेषकर कार्टूनिस्ट एवं चित्रकार मित्रो! सस्नेह स्मरण.